*अयोध्या से बड़ी खबर: रामपथ और 14 कोसी मार्ग पर नॉनवेज बिक्री पर पूरी तरह रोक,
अयोध्या/लखनऊ।
अयोध्या में अब रामपथ, भक्तिपथ, धर्मपथ और 14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर मांस-मछली की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी जाएगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीर्थनगरी अयोध्या की धार्मिक गरिमा और सात्विकता बनाए रखने के उद्देश्य से यह बड़ा निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि इन पवित्र मार्गों के किनारे स्थित नॉनवेज की सभी दुकानें सात दिनों के भीतर पूरी तरह बंद कर दी जाएँ। प्रशासन ने मांस और मछली बेचने वाले दुकानदारों को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा है कि वे स्वयं अपनी दुकानें बंद कर लें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।
*धार्मिक भावना को प्राथमिकता*
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि श्रीराम जन्मभूमि और राम मंदिर क्षेत्र में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। रामपथ, भक्तिपथ, पंचकोसी और 14 कोसी परिक्रमा मार्ग न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अयोध्या की पहचान हैं। इन मार्गों पर सात्विकता और पवित्रता बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है।
*दुकानदारों की चिंता बढ़ी*
हालांकि इस फैसले से धार्मिक संगठनों और श्रद्धालुओं में संतोष की भावना देखी जा रही है, वहीं मांस-मछली बेचने वाले सैकड़ों दुकानदारों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है। कई दुकानदारों ने प्रशासन से वैकल्पिक स्थान देने और पुनर्वास की मांग की है। स्थानीय व्यवसायियों का कहना है कि सिर्फ 7 दिन की मोहलत देना अन्यायपूर्ण है, क्योंकि इससे उनकी रोज़ी-रोटी पर अचानक असर पड़ेगा।
*प्रशासन सख्त, कोई छूट नहीं*
अयोध्या प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीमों द्वारा संबंधित क्षेत्रों में निरीक्षण शुरू कर दिया गया है। साथ ही, स्थानीय निकायों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन मार्गों से सभी मांस-मछली की दुकानें हटाने की प्रक्रिया तेजी से पूर्ण करें।
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*क्या कहती है जनता?*
स्थानीय नागरिकों की राय इस फैसले को लेकर बंटी हुई है। कई लोग इसे अयोध्या के धार्मिक महत्व के अनुरूप मानते हैं, तो कुछ इसे रोज़गार पर आघात और धार्मिक पूर्वग्रह का संकेत मानते हैं।
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*संभावित असर*
यह निर्णय एक ओर जहाँ अयोध्या को 'सात्विक तीर्थनगरी' के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह बहस भी शुरू हो गई है कि धार्मिक आधार पर कारोबार पर पाबंदी कहाँ तक उचित है, और क्या इससे सामाजिक ताने-बाने पर असर पड़ेगा।