यह पूरा मामला चेरिया बरियारपुर थाना क्षेत्र बसही पंचायत भेलवा मुसहरी का है. दरअसल इस केस के वादी जगदीश यादव अपने नाना की संपत्ति पर बसे हुए थे, लेकिन नाना के हिस्सेदार जहू यादव नहीं चाहते थे कि जगदीश यादव रहे. 1971 के वैशाख महीने में जहू यादव अपने घर के बगल में एक झोपड़ी बना रहे थे. जो जगदीश यादव के नाना की जमीन पर बन रहा था. दोनों में इस बात को लेकर विवाद हो गया. जगदीश यादव ने झोपड़ी बनाने से रोक दिया. जिसके बाद तत्कालीन मुंगेर जिला के बेगूसराय अनुमंडल कोर्ट में केस नंबर-83/71 के तहत यह विवाद चला गया. धारा-144, 145, 88 लगने के बाद टाइटल सूट हुआ.
1979 में जगदीश यादव के पक्ष में जब जजमेंट आया. जिसके बाद जहू यादव ने फिर टाइटल सूट अपील 1/80 दायर कर दिया. मामला कोर्ट में चलने लगा. सीएम के जनता दरबार तक भी बात पहुंची, लेकिन कुछ नहीं हुआ. केस लड़ने के लिए जगदीश यादव ने धीरे-धीरे अपनी करीब 5 बीघा जमीन बेच दी. जहू यादव का भी साढ़े चार से पांच बीघा जमीन बिक गया. केस लड़ते-लड़ते 1997 में जगदीश यादव की मौत हो गई और 2 साल के बाद जहू यादव का देहांत हो गया. जगदीश यादव के निधन के बाद उनके बेटे मुंशी यादव केस लड़ने लगे. 2010 में उनकी भी मौत हो गई. तब से जगदीश यादव के पोते मनटुन यादव, रामभजन यादव और रंजीत यादव सहित अन्य केस को देखने लगे, लेकिन कोई समझौता नहीं हुआ.
वहीं दूसरी तरफ जहू की मौत के बाद उनके भी बेटे केस को देख रहे थे. दोनों परिवार के लोग केस की तारीख कोर्ट पहुंचते थे. मामला न्यायालय में जल्दी निपट जाता, लेकिन कागजी दांव फंस गया था. जहू यादव का कहना था कि जगदीश यादव के नाना ने बेटा नहीं रहने के कारण उसे यह जमीन मौखिक रूप से 180 रुपए में बेची थी. नियम के अनुसार उस समय 100 रुपए से अधिक की जमीन मौखिक रूप से नहीं बेची जा सकती थी. जिसके कारण मामला फंस गया
24 मई, 2025 को इस मामले का कोर्ट ने फैसला जगदीश यादव के वंशजों के पक्ष में दिया. परिजनों में खुशी है लेकिन साथ में अफसोस भी है की मात्र 9 धुर जमीन के लिए 5 बीघा कीमती जमीन बिक गई. अंतिम समय में जहू यादव की ओर अधिवक्ता विनय रंजन और शकील अहमद ने न्यायालय के समक्ष अपना तर्कसंगत बहस किया. वहीं जगदीश यादव के पक्ष के अधिवक्ता प्रभात मणि और सत्यम कुमार ने बहस करते हुए बयानों में विरोधाभास को उजागर किया. न्यायालय ने दोनों पक्षों की ओर से बहस सुनने के करीब 54 वर्षों के बाद निर्णय सुनाया. इस बात को लेकर पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है लोगों के बीच एक न्यायालय के प्रति विश्वास जगी है.