आयोगों का कार्यकाल तीन साल का होगा
इसके साथ ही राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का भी गठन किया गया है. दोनों आयोगों का कार्यकाल तीन साल का होगा. दोनों आयोगों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के नामों की घोषणा कर दी गई है. शैलेंद्र कुमार को राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि सुरेंद्र उरांव को उपाध्यक्ष जबकि प्रेमशीला गुप्ता, तल्लू बास्की और राजू कुमार को सदस्य बनाया गया है. विधानसभा चुनाव से पहले सीएम नीतीश का यह बड़ा फैसला माना जा रहा है.
बता दें कि इससे एक दिन पहले ही गुरुवार को नीतीश सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन किया था और गुलाम रसूल बलयावी को इसका अध्यक्ष बनाया था. गुलाम रसूल जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राज्यसभा सांसद हैं. बलयावी वक्फ कानून को लेकर सरकार का लगातार विरोध कर रहे थे. वहीं इस आयोग में 10 अन्य सदस्य भी रखे गए हैं. गौरतलब है कि इससे पहले बिहार में सवर्ण आयोग कार्यरत था, जिसे नीतीश कुमार ने पुनर्गठित करने का फैसला लिया है. वहीं अल्पसंख्यक आयोग का भी पुनर्गठन होगा.
2010 में सवर्ण आरक्षण का मुद्दा उठा था
दरअसल, 2010 में विधानसभा चुनाव से पहले सवर्ण आरक्षण का मुद्दा उठा था. लालू यादव ने सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग की की थी. 2011 में जब नीतीश कुमार दोबारा सत्ता में आए तो उन्होंने सवर्ण आयोग का गठन किया. 27 जनवरी 2011 को कैबिनेट ने सवर्ण आयोग के गठन को मंजूरी दे दी. इसके साथ ही बिहार सवर्ण आयोग बनाने वाला इकलौता राज्य बन गया था.