SHEOHAR; विधानसभा चुनाव की जानिए एतिहास, कौन जीता कौन हारा
जैसे जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है वैसे शिवहर में चुनावी हलचल बढ़ने लगा है
उम्मीदवारों को लेकर चौक चौराहों पर लोगों का नाम उछाले जा रहे हैं
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बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट चुकी हैं।
बिहार के 38 जिलों में से एक शिवहर जिला है। यह जिला 1 अनुमंडल और 05 ब्लॉक में विभाजित है। शिवहर जिले में केवल शिवहर विधानसभा सीट है, इसके साथ ही बेलसंड विधानसभा का भी कुछ हिस्सा इसी जिले में आता है। इस सीट पर 1952 में पहली बार चुनाव हुए थे। शिवहर जिला तिरहुत प्रमंडल का सबसे छोटा जिला है | जिला बनने से पहले यह सीतामढ़ी जिला का अनुमंडल था। 6 अक्तूबर 1994 को सीतामढ़ी से अलग होकर शिवहर जिला बनाया गया।
शुरुआत में निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा
1951-52 में इस सीट पर सबसे पहले चुनाव हुए थे। उस चुनाव में यहां दो विधानसभा सीट पर चुनाव हुए। एक सीट का नाम शिवहर था और दूसरी सीट बेलसंड थी। शिवहर सीट पर कांग्रेस के ठाकुर गिरजानंदन सिंह को जीत मिली। वहीं, बेलसंड पर कांग्रेस के चुल्हाई दुसाध को जीत मिली।
1957 में फिर से शिवहर में दो सीटें थी। शिवहर सीट पर एक बार फिर से मौजूदा विधायक ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने ही जीत दर्ज की थी। इस बार उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर नहीं बल्कि निर्दलीय चुनाव लड़ा था। दूसरी सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रामस्वरूप राम ने जीत दर्ज की थी।
1962 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर शिवहर सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में कांग्रेस के चितरंजन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे देवनारायण सिंह को 2,234 वोट से हरा दिया था।
ठाकुर गिरजानंदन सिंह की वापसी
1967 में शिवहर सीट पर ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़कर कांग्रेस के टीसी सिंह को 1,841 वोट से हरा दिया।ठाकुर गिरजानंदन सिंह इससे पहले 1952 और 1957 में यहां से जीत दर्ज कर चुके थे।
1969 में ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने शिवहर सीट पर चौथी बार जीत दर्ज की। इस बार उन्होंने भारतीय क्रांति दल से चुनाव लड़ा। ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने एसएसपी के जफर आलम को 3,613 वोट से हरा दिया।
रघुनाथ झा का दबदबा
10 साल बाद एक बार फिर शिवहर में कांग्रेस जीत दर्ज की। 1972 के विधानसभा चुनाव में शिवहर सीट से कांग्रेस के रघुनाथ झा ने जीत दर्ज की। उन्होंने निर्दलीय ठाकुर दिवाकर को 9,420 वोट से हरा दिया। इस जीत के साथ शिवहर विधानसभा सीट पर रघुनाथ झा के दबदबे का दौर शुरू हुआ।
1972 के बाद 1977, 1980, 1985, 1990, 1995 में भी इस सीट पर रघुनाथ झा ने लगातार छह बार जीत दर्ज की। रघुनाथ झा 1972 और 1977 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर, 1980 में कांग्रेस इंदिरा के टिकट पर, 1985 में जनता पार्टी, 1990 और 1995 में जनता दल के टिकट पर जीत दर्ज करके विधानसभा पहुंचे। 1998 में लालू प्रसाद यादव से मतभेद होने के बाद झा ने राजद छोड़ दी। लालू से अलग होकर रघुनाथ झा समता पार्टी में शामिल हुए और नैतिकता के आधार पर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद शिवहर सीट पर हुए उपचुनाव में राजद के टिकट पर उतरे ठाकुर रत्नातक ने जीत दर्ज की।
मनमोहन सरकार में मंत्री भी रहे रघुनाथ झा
रघुनाथ झा शिवहर से छह बार विधायक रहे, साथ ही गोपालगंज और बेतिया से दो बार सांसद भी रहे। बिहार सरकार के कई विभागों में मंत्री रहे रघुनाथ मनमोहन सरकार के समय में भारी उद्योग राज्य मंत्री भी रहे थे। 1998 में समता पार्टी में शामिल हुए रघुनाथ झा 1999 के लोकसभा चुनाव में गोपालगंज मैदान में उतरे। इस चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की और लोकसभा पहुंच गए। 2004 के लोकसभा चुनाव में रघुनाथ झा एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरे। इस बार उनकी पार्टी और सीट दोनों बदल चुकी थी। इस चुनाव में रघुनाथ झा ने बेतिया लोकसभा सीट से राजद के टिकट पर ताल ठोंकी। इस बार भी उन्हें जीत मिली। बेतिया से सांसद रहते हुए ही रघुनाथ झा को मनमोहन कैबिनेट में जगह मिली।
2000: राजद की जीत
साल 2000 के विधानसभा चुनाव में शिवहर सीट से राजद ने सत्यनारायण प्रसाद को उतारा। इस चुनाव में प्रसाद ने समता पार्टी के अजीत कुमार झा को 5,019 वोट से हरा दिया। 2005 में बिहार में एक ही साल में दो बार चुनाव हुए थे। पहली बार फरवरी और दूसरी बार अक्तूबर में चुनाव हुए। फरवरी 2005 के चुनाव में पिछली बार के चुनाव में हारे अजीत कुमार झा ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। उन्होंने ने जनता दल यूनाइटेड के ठाकुर रत्नाकर को 5,551 वोट से हरा दिया।
अक्तूबर 2005 में राजद के अजीत कुमार झा ने ही जीत दर्ज की। इस बार भी उन्होंने जनता दल यूनाइटेड के ठाकुर रत्नाकर को महज 205 वोट से हराया।
2010: जनता दल यूनाइटेड ने खोला खाता
2010 में शिवहर सीट पर जनता दल यूनाइटेड के शर्फुद्दीन ने जीत दर्ज की। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की प्रतिमा देवी को 1631 वोट से हरा दिया। 2015 में एक बार फिर से जदयू के शर्फुद्दीन ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने हम (सेक्युलर) की लवली आनंद को 461 वोट से हराया।
2020 में राजद ने सीट से कद्दावर सांसद आनंद मोहन सिंह के बेटे चेतन आनंद को टिकट दिया था। इस बार यहां से राजद को जीत मिली। चेतन आनंद ने जदयू के मौजूदा विधायक शरफुद्दीन को 36,686 वोट से हरा दिया। इस जीत के साथ ही चेतन ने 2015 में अपनी मां की हार का बदला भी ले लिया। जो पिछले चुनाव में महज 461 वोट से हार गईं थीं।