पाकिस्तान ने अब तक भारत को 4 चिट्ठी भेजी है
पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि से निलंबन हटाने की मांग करती हुई पहली चिट्ठी मई की शुरुआत में लिखी थी, तब ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च नहीं हुआ था. उसके बाद से पाकिस्तान की ओर से तीन और चिट्ठी भारत को भेजी गई. हालांकि, भारत पहले ही साफ कर चुका है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन करना बंद नहीं करता है, तब तक यह संधि निलंबित ही रहने वाली है.
पाकिस्तान में जल संकट का डर गहराया
पाकिस्तानी सीनेटर ने सैयद अली जफर ने मई में कहा था कि अगर हमने जल संकट का समाधान नहीं किया तो हम भूख से मार जाएंगे. उन्होंने कहा, "सिंधु बेसिन हमारी जीवन रेखा है, क्योंकि हमारे पानी का तीन-चौथाई हिस्सा देश के बाहर से आता है. 10 में से 9 लोग अपने जीवन के लिए सिंधु जल बेसिन पर निर्भर हैं. हमारे 90 फीसदी फसलें इसी पानी पर निर्भर है और सभी पावर प्रोजेक्ट या बांध इसी पर बने हैं."
सिंधु के पानी पर निर्भर है पाकिस्तान की खेती
सिंधु जल संधि का उद्देश्य दोनों देशों के बीच नदियों के जल बंटवारे की शर्तें तय कर विवाद को समाप्त करना था. सिंधु नदी प्रणाली में कुल छह नदियां शामिल हैं, जिनमें तीन पूर्वी नदियां रावी, ब्यास, सतलुज और तीन पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम, चिनाब हैं. इस समझौते के तहत भारत को पूर्वी नदियों का नियंत्रण और उपयोग का अधिकार मिला है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों का नियंत्रण मिला है. पाकिस्तान की लगभग 80 फीसदी कृषि सिंचाई सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है.
सिंधु नदी से जुड़े कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पाकिस्तान में हैं. पानी की कमी से इनका उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे ऊर्जा संकट गहराएगा. पाकिस्तान में पहले से ही ऊर्जा संकट बड़ी समस्या बनी हुई है. वहीं पाकिस्तान के पंजाब और सिंध क्षेत्रों के निवासी इस नदी प्रणाली पर पीने के पानी के लिए निर्भर हैं.