एअर इंडिया के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की आधिकारिक वजहों का अभी खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन कुछ समय बाद ही हुए हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व पायलट अहसान खालिद ने सवाल उठाया कि विमान 600 फीट की ऊंचाई पर था, तो बड़ा सवाल यह है कि लैंडिंग गियर नीचे क्यों था? विमान के उड़ान भरते ही लैंडिंग गियर ऊपर उठा दिया जाता है। चूंकि लैंडिंग गियर नीचे था, इसलिए संभव है कि इंजन में खराबी का पहले ही पता चल गया हो।खालिद ने कहा कि वीडियो से पता चलता है कि विमान उड़ते समय नीचे आया। बीच हवा में कोई धमाका नहीं हुआ। हो सकता है विमान में पावर की कमी हो गई हो। इसे इंजन की खराबी का कारण माना जा सकता है। हालांकि, दोनों इंजनों के एकसाथ फेल होने की संभावना बहुत कम है। हो सकता है कि आखिरी कुछ सेकंड में विमान पक्षी से टकराया हो, जिससे दोनों इंजनों ने ताकत खो दी हो।
पायलट की मेडे कॉल का जिक्र करते हुए खालिद ने कहा कि चालक दल को गड़बड़ी का पता था और उन्होंने इसे संभालने की कोशिश भी की। पर, सवाल यह है कि लैंडिंग गियर ऊपर क्यों नहीं था। विमान 600 फीट की ऊंचाई पर था। विमान में एक दिक्कत थी या कई, अभी कोई कुछ नहीं कह सकता। हादसे की सटीक वजहों का पता फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और एसीएआरएस डाटा की जांच से चलेगा।
असामान्य थी लैंडिंग गियर की स्थिति : एंथनी
अमेरिकी एयरोस्पेस सुरक्षा सलाहकार एंथनी ब्रिकहाउस ने भी ऐसी ही चिंता जताते हुए कहा कि उड़ान के उस चरण के लिए लैंडिंग गियर की स्थिति असामान्य थी। उन्होंने गड़बड़ी का इशारा करते हुए कहा कि अगर आपको नहीं पता कि क्या हो रहा है तो आपको लगेगा कि विमान रनवे के करीब पहुंच रहा है। जांचकर्ता दुर्घटना की वजह बनने वाली घटनाओं को एकसाथ जोड़ने का काम कर रहे हैं, पर उनका ध्यान दुर्घटना के कारण को समझने पर है।
हो सकता है पूरे रनवे का इस्तेमाल न हुआ हो
एक अन्य विमानन विशेषज्ञ के अनुसार, ड्रीमलाइनर जैसे भारी भरकम विमान को एयरोडायनामिक्स के हिसाब से सही टेकऑफ के लिए लंबा रनवे चाहिए होता है। हेलिकॉप्टर एक जगह से ही उड़ान भर लेता है, पर जहाज को फॉरवर्ड गति चाहिए होती है। इसके लिए उसे रनवे पर दौड़ाना पड़ता है। हो सकता है पूरे रनवे का इस्तेमाल न किया गया हो, जिससे उसे जरूरी फॉरवर्ड रफ्तार नहीं मिली और वह सही से टेकऑफ नहीं कर पाया। हालांकि फ्लाइटराडार 24 के मुताबिक, विमान ने पूरे रनवे का इस्तेमाल किया।
विशेषज्ञों के अनुसार, अहमदाबाद का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था। विमान का इंजन फ्यूल और हवा के मिश्रण से चलता है। इसमें 1 किलो फ्यूल और 4 किलो हवा होती है। गर्मियों में यह अनुपात बिगड़ जाता है, क्योंकि हवा का घनत्व कम हो जाता है और वह फैलने लगती है। इससे फ्यूल इंजन को जरूरी पावर आपूर्ति नहीं कर पाती। मान लीजिए किसी दिन 30 डिग्री तापमान है और फ्यूल से इंजन को 100 यूनिट ऊर्जा मिल रही है। अगर अहमदाबाद में 43 डिग्री तापमान है तो इंजन को 60 यूनिट ही ऊर्जा ही मिलेगी।