पायलट बनने की प्रक्रिया
12वीं PCM के साथ पास करें
एप्टीट्यूड टेस्ट या एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करें
DGCA-मान्यता प्राप्त फ्लाइंग स्कूल में एडमिशन लें
Student Pilot License (SPL) प्राप्त करें
Private Pilot License (PPL) की ट्रेनिंग लें
Commercial Pilot License (CPL) प्राप्त करें (200 घंटे फ्लाइंग जरूरी)
एयरलाइन में चयन के बाद टाइप रेटिंग ट्रेनिंग लें (यानी किसी विशेष विमान को उड़ाने की ट्रेनिंग) और टाइप रेटिंग ट्रेनिंग आमतौर पर एयरलाइन या कुछ विशेष संस्थान करवाते हैं और इसमें बोइंग या एयरबस जैसे विमान मॉडल्स की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। जैसे आपके लिए ऑपशन के लिए, भारत के प्रमुख फ्लाइंग स्कूल (DGCA Approved Flying Schools), इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स (चंडीगढ़), इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन (रायबरेली), कैप्टन साहिल खुराना एकेडमी (पटियाला), एमपी फ्लाइंग क्लब (इंदौर), और IGIAS (केरल) इन संस्थानों में प्रवेश के लिए आपको एंट्रेंस या इंटरव्यू क्लियर करना पड़ सकता है और सीटें सीमित होती हैं।
कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) कोर्स की कुल फीस लगभग 20 लाख से 45 लाख रुपये तक हो सकती है। यह फीस फ्लाइंग स्कूल, ट्रेनिंग के घंटे, लोकेशन और टाइप रेटिंग की लागत पर निर्भर करती है। कुछ संस्थान विदेश में भी फ्लाइंग ट्रेनिंग कराते हैं, जिसकी फीस और अधिक हो सकती है।
ट्रेनिंग के दौरान आमतौर पर कोई निश्चित सैलरी नहीं मिलती, लेकिन जैसे ही आप किसी एयरलाइन में चयनित होते हैं, आपकी सैलरी शुरू हो जाती है।
फ्रेशर पायलट: ₹1.5 लाख से ₹3 लाख प्रति माह
अनुभवी पायलट: ₹5 लाख से ₹10 लाख प्रति माह
इंटरनेशनल एयरलाइंस में: ₹10 लाख से अधिक प्रति माह
इसके अलावा, कैप्टन रैंक पर पहुंचने के बाद और ज्यादा सुविधाएं व बोनस भी मिलते हैं।
पायलट बनने की प्रक्रिया में मेहनत, अनुशासन, समय और बड़ा आर्थिक निवेश शामिल होता है। इसलिए इस करियर को चुनने से पहले अच्छे से रिसर्च करें, ऑफिशियल DGCA और फ्लाइंग स्कूल वेबसाइट पर जानकारी लें और कोर्स व फीस की पुष्टि अवश्य करें। इसके साथ ही मेडिकल फिटनेस को लेकर भी शुरुआती स्तर पर ही जांच करवा लें।