15 Days Quarantine Bhagwan Jagannath Story: पुरी में जगन्नाथ जी, उनके भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार हो गए हैं। प्राचीन परंपरा के अनुसार अब वो 14 दिन तक भगवान आराम करेंगे। भगवान का स्वास्थ्य बिगड़ा होने के चलते मंदिर में भक्तों का प्रवेश बंद कर दिया गया है। केवल पुजारी और वैद्यजी को ही इलाज हेतु सुबह-शाम भगवान तक पहुंचने की इजाजत है। इस बार रथ यात्रा 27 जून 2025 को निकाली जाएगी। दरअसल पुरी के श्रीमंदिर में हर वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा 108 कलशों से स्नान करते हैं, जिसे ‘स्नान पूर्णिमा’ कहा जाता है। इस विशेष स्नान के बाद भगवान कुछ दिनों के लिए ‘अनवसर’ यानी बीमार हो जाते हैं और 14 दिन तक आराम करते हैं। इस दौरान मंदिर के पट बंद रहते हैं और केवल पुजारी एवं वैद्यराज ही भगवान की सेवा कर सकते हैं। लेकिन इस परंपरा के पीछे एक बेहद भक्तिमय कथा जुड़ी है। आइए जानते हैं विस्तार से।
जब बीमार हुआ भगवान का भक्त
एक समय पुरी में माधवदास नामक एक परम भक्त रहते थे। वे प्रतिदिन भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना करते थे। एक दिन उन्हें अतिसार का गंभीर रोग हो गया। इतनी कमजोरी हो गई कि चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया, फिर भी उन्होंने किसी से सहायता नहीं ली और यथाशक्ति स्वयं सेवा करते रहे।
प्रभु ने स्वयं निभाई सेवा
जब माधवदास बिल्कुल अशक्त हो गए, तब स्वयं भगवान जगन्नाथ एक सामान्य सेवक के रूप में उनके घर आए और उनकी सेवा करने लगे। जब माधवदास को होश आया, तो उन्होंने प्रभु को पहचान लिया। भावविभोर होकर उन्होंने पूछा “प्रभु! आप त्रिलोक के स्वामी होकर मेरी सेवा क्यों कर रहे हैं? यदि आप चाहते तो मेरा रोग ही समाप्त कर सकते थे!”
भगवान ने उत्तर दिया “भक्त की पीड़ा मुझसे देखी नहीं जाती, इसलिए स्वयं सेवा करने आया हूं। परंतु हर व्यक्ति को अपना प्रारब्ध भोगना ही पड़ता है। तुम्हारे प्रारब्ध में जो 15 दिन का रोग शेष है, वह मैं अपने ऊपर ले रहा हूं।”
तभी से भगवान हर साल होते हैं बीमार
इसी घटना के बाद से यह परंपरा बनी कि भगवान जगन्नाथ हर वर्ष स्नान पूर्णिमा के बाद बीमार हो जाते हैं और ‘अनवसर काल’ में विश्राम करते हैं। यही कारण है कि हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जब भगवान स्वस्थ होते हैं, तब अपने भक्तों के बीच भ्रमण के लिए रथ यात्रा पर निकलते हैं
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का महत्व
भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण के अवतार माने जाने वाले प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ यात्रा पर निकलते हैं। यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण करते हैं और भक्तों को अपने दिव्य दर्शन देते हैं। सैंकड़ो लोग पुरी की सड़कों पर भगवान के रथ को खींचने के लिए आतुर रहते हैं। मान्यता है रथ यात्रा एक फलदायी धार्मिक आयोजन है, जिसमें शामिल होने से व्यक्ति की सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म के आस्था और विश्वास का प्रतीक है।