Petrol Diesel Price Today: वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव, विशेषकर 13 जून से शुरू हुए ईरान-इज़राइल संघर्ष, का प्रभाव अब भारत के ऊर्जा बाजार में भी परिलक्षित होने लगा है। संघर्ष की शुरुआत के दो दिन के भीतर कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों में लगभग 12% की तेज़ उछाल दर्ज की गई है।
घरेलू पेट्रोल रेट (15 जून 2025):
शहर कीमत (₹/लीटर) परिवर्तन
पटना ₹105.75 +0.52
दिल्ली ₹94.77 0
कोलकाता ₹105.41 0
मुंबई ₹103.50 0
चेन्नई ₹100.80 -0.02
हैदराबाद ₹107.46 0
जयपुर ₹104.72 0
लखनऊ ₹94.69 +0.01
पटना, भुवनेश्वर, और गुड़गांव जैसे शहरों में मामूली वृद्धि से संकेत मिलता है कि कंपनियां अंतरराष्ट्रीय उछाल के असर को चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित कर रही हैं। नोएडा और चेन्नई में मामूली गिरावट से ये भी स्पष्ट है कि मूल्य निर्धारण क्षेत्रीय मांग, कर और परिवहन लागत पर भी निर्भर है।
डीजल की दरें (15 जून 2025):
शहर कीमत (₹/लीटर) परिवर्तन
पटना ₹91.98 +0.49
दिल्ली ₹87.67 0
कोलकाता ₹92.02 0
मुंबई ₹90.03 0
नोएडा ₹87.81 -0.38
चेन्नई ₹92.39 -0.01
लखनऊ ₹87.81 +0.01
तिरुवनंतपुरम ₹96.38 -0.10
डीजल की कीमतों में स्थिरता के बावजूद पटना, भुवनेश्वर, और गुड़गांव जैसे शहरों में बढ़ोतरी यह संकेत देती है कि खपत आधारित क्षेत्रों में आपूर्ति दबाव बनना शुरू हो चुका है। वहीं, कुछ इलाकों में गिरावट यह दर्शाती है कि कंपनियां अब भी कीमतों को नियंत्रित करने के लिए बफर स्टॉक का उपयोग कर रही हैं।
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय स्थिति:
13 जून को अमेरिकी बेंचमार्क WTI क्रूड ऑयल की कीमत 8.2% बढ़कर $73.61 प्रति बैरल पहुंच गई, जबकि 14 जून को इसमें और उछाल आया और 12.6% बढ़कर $76.61 प्रति बैरल हो गई।
इसी तरह, ब्रिटेन के ब्रेंट क्रूड ऑयल में 14 जून को 12.2% की बढ़त के साथ कीमतें $77.77 प्रति बैरल हो गईं।भारत में जहां क्रूड ट्रेडिंग MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर होती है, वहां 14 जून को कीमतें ₹6,295 प्रति बैरल पहुंच गईं, जो 12 जून को ₹5,798 थीं — यानि ₹497 की बढ़ोतरी।
रेट निर्धारण की प्रक्रिया:
भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर सुबह 6 बजे अपडेट की जाती हैं और यह इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें चिंता का कारण हैं। यदि भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ता है तो आगामी सप्ताहों में आम उपभोक्ताओं को जेब पर असर महसूस हो सकता है।