लाल बाबू पांडे शिवहर: इस बार मानसून अपने तय समय से बिहार नहीं पहुंच पाया है. 29 मई से ही यह सिक्किम में अटका हुआ है और हवा की दिशा में बदलाव के बाद ही इसके बिहार की ओर बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. मौसम विज्ञान केंद्र पटना ने जहां 19 जिलों में आंधी-तूफान और वज्रपात के साथ बारिश का अलर्ट जारी किया है वहीं आधे जिलों में हीट वेव को लेकर चेतावनी है.
इन जिलों में बारिश: पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, सिवान, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया और कटिहार जिला शामिल है. वहीं 19 जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया इन जिलों में मौसम विभाग ने 50 से 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा, वज्रपात और कुछ क्षेत्रों में बारिश की संभावना जताई है. इन सभी 19 जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है.
किशनगंज, सुपौल, अररिया और कटिहार में बारिश: आनंद शंकर ने बताया कि अभी के समय प्रदेश में पूर्वी हवा के प्रभाव के कारण लोगों को वास्तविक तापमान से अधिक गर्मी महसूस हो रही है. मौसम वैज्ञानिक आनंद शंकर बताते हैं कि इस 'हीट इंडेक्स' की वजह से भले ही तापमान 39-40 डिग्री हो, लेकिन उमस के कारण शरीर पर इसका असर 44-45 डिग्री के तापमान जैसा महसूस होता है. उन्होंने बताया कि उत्तर-पूर्व बिहार के जिलों खासकर किशनगंज, सुपौल, अररिया और कटिहार में हल्की वर्षा की संभावना जताई गई है.
पूर्णिया और किशनगंज के रास्ते प्रवेश करेगा मानसून: मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार बिहार में मानसून की एंट्री 12 से 15 जून तक हो जाना था लेकिन अब लेट होने की संभावना है. संभवत: 17 जून को पूर्णिया और किशनगंज के रास्ते मानसून बिहार में प्रवेश करने की संभावना है. इसके बाद ही लोगों को गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद है.
गर्मी की तीव्रता इस बार कम: मौसम वैज्ञानिक आनंद शंकर ने बताया कि वर्ष 2023 और 2024 की तुलना में इस बार प्रदेश में गर्मी की तीव्रता अपेक्षाकृत कम रही है. पिछले दो वर्षों में मई-जून के दौरान दो-दो बार लंबी हीट वेव की स्थिति बनी थी, लेकिन 2025 में अब तक हीट वेव जैसी कोई व्यापक स्थिति नहीं देखी गई है. फिर भी, बीते दो-तीन दिनों से राज्य में तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है. विशेष रूप से पटना और दक्षिण बिहार के जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है. यह स्थिति बिहार में अगले 24 घंटे के लिए बनी हुई है.
बिहार में हीट वेव: बक्सर, भोजपुर, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, कैमूर, रोहतास, अरवल, नालंदा, जहानाबाद, शेखपुरा, मुंगेर, औरंगाबाद, गया, नवादा, जमुई और बांका में हीट वेव की चेतावनी है. इन जिलों में मौसम गर्म और आद्र रहेगा. इसको लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है.
एल-नीनो से राहत, ला-नीना देगा सहारा?: मौसम वैज्ञानिक आनंद शंकर ने बताया कि पिछले वर्ष यानी 2024 में एल-नीनो की स्थिति बनी हुई थी, जिसका असर भारत के कई हिस्सों में कमजोर मानसून के रूप में देखा गया. लेकिन इस वर्ष 2025 में मौसम वैज्ञानिकों ने संकेत दिया है कि एल-नीनो कमजोर हो गया है और अब ला-नीना की स्थिति विकसित हो रही है. ला-नीना के असर से मानसून को मजबूती मिलने की संभावना रहती है. यह भारतीय उपमहाद्वीप में अधिक वर्षा और ठंडी हवाओं का संकेत देता है. अगर जुलाई तक ला-नीना प्रभावी रहता है, तो पूरे पूर्वी भारत में अच्छी बारिश हो सकती है और जून के अंत तक इसकी शुरुआत हो सकती है.
आगे क्या उम्मीद?: मौसम विभाग का कहना है कि अगले दो-तीन दिनों में जैसे ही हवा की दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर बदलेगी, मानसून बिहार में प्रवेश कर सकता है. अगर यह अनुमान सही बैठा तो जून के तीसरे सप्ताह से प्रदेश में व्यापक वर्षा की शुरुआत हो सकती है. इस संभावित वर्षा से न सिर्फ किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि जलाशयों और भूजल स्तर में भी सुधार देखने को मिलेगा. हालांकि बिहार में मानसून की देरी ने जहां एक ओर गर्मी और उमस को बढ़ा दिया है.
जून के अंत में जमकर होगी बारिश: मौसम विज्ञान केंद्र और वैश्विक जलवायु संकेत दोनों मानसून की सकारात्मक शुरुआत की ओर इशारा कर रहे हैं, लेकिन स्थिति पूरी तरह हवा की दिशा और ला-नीना की मजबूती पर निर्भर करेगी. फिलहाल किसानों और आम नागरिकों को कुछ दिन और इंतजार करना होगा, उम्मीद है कि जून के अंत तक बिहार मानसून की ठंडी बौछारों से तरबतर होगा.
किसानों के लिए बना चिंता का विषय: कृषि अनुसंधान केंद्र पटना के क्षेत्रीय निदेशक डॉ शिवनाथ दास ने बताया कि मानसून में देरी सबसे अधिक असर राज्य के किसानों पर डाल रही है. खासकर धान की खेती करने वाले किसान इस समय 'बीचड़ा' (धान का पौध) तैयार करने में जुटे होते हैं, लेकिन बारिश न होने के कारण खेतों में पानी नहीं भर पा रहा है. बहुत से किसान बोरिंग या पंप सेट से पानी दे रहे हैं.
इन जिलों में पड़ेगा असर: सारण, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण जैसे इलाकों के किसान बताते हैं कि अगर अगले एक सप्ताह के भीतर मानसून सक्रिय नहीं हुआ, तो धान की बुआई में देरी होने की पूरी संभावना है, जिससे पूरे फसल चक्र पर प्रभाव पड़ेगा. किसान मनोज कुमार ने बताया कि बारिश होती तो बिचड़ा तैयार करने में परेशानी नहीं होती.
सरकार और कृषि विभाग की तैयारी: कृषि विभाग ने भी संभावित देरी को ध्यान में रखते हुए किसानों को सतर्क किया है. राज्य के कई जिलों में कृषि अधिकारियों द्वारा किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे वैकल्पिक सिंचाई व्यवस्था पर ध्यान दें और अधिक जल-प्रबंधन वाली धान किस्मों का चयन करें. सरकार की तरफ से भी इस मुद्दे पर समीक्षा बैठक हो रही हैं और बारिश की स्थिति को लेकर साप्ताहिक निगरानी की जा रही है. अगर मानसून में अधिक देरी होती है तो संभावित सहायता योजनाओं पर भी मंथन शुरू हो चुका है.