जिस पाकिस्तान के एक के बाद एक सैन्य ठिकाने भारत की जवाबी कार्रवाई में निशाना बन रहे थे, उसका अचानक संघर्ष विराम के लिए राजी हो जाना किसी नाटकीय घटनाक्रम से कम नहीं था। शाम 6 बजे भारत ने संघर्ष विराम की पुष्टि की थी और बताया कि पाकिस्तान की पहल पर बातचीत हुई और दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हुए। ऐसा प्रतीत हुआ कि भारत का कड़ा रुख तो जारी रहेगा, लेकिन सरहदों पर हालात सामान्य हो जाएंगे। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं। पाकिस्तान अपनी फितरत से बाज नहीं आया और उसने संघर्ष विराम तोड़ने की हिमाकत कर दी। सबसे पहले श्रीनगर में धमाके सुने गए। नियंत्रण रेखा पर फायरिंग हुई। कच्छ जैसे इलाकों में ड्रोन देखे गए। खबर लिखे जाने तक कई कई शहरों में ताबड़तोड़ ब्लैकआउट हो चुका था
इससे पहले, भारत की मुंहतोड़ और ताबड़तोड़ जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली की कमर बुरी तरह टूट गई थी। उसने खुद बातचीत की पहल की, तब भारत राजी हुआ और संघर्ष विराम पर सहमति बनी। हालांकि, अमेरिका के दावों के विपरीत किसी तीसरे पक्ष ने इस बातचीत में मध्यस्थता नहीं की। संघर्ष विराम की घोषणा क्यों और कैसे हुई? इस पर भारत, पाकिस्तान और अमेरिका का क्या कहना है,
1. सबसे पहले जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई?- 16 अप्रैल 2025 को पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने भड़काऊ बयान दिया। उन्होंने कहा कि हम हिंदुओं से अलग हैं। हमारा महजब, हमारी सोच अलग है। हम भारत के खिलाफ संघर्ष करने वाले अपने कश्मीरी भाइयों को नहीं छोड़ेंगे।
- इसी के बाद 22 अप्रैल कश्मीर के पहलगाम स्थित बायसरन घाटी में पर्यटकों को आतंकियों ने उनका धर्म पूछकर गोली मारी। सारे हिंदू पुरुषों को एकतरफ खड़ा कर उन्हें उनके परिवार के सामने मार दिया गया। इसमें 25 भारतीयों और एक नेपाली पर्यटक की मौत हुई।
- भारत ने विरोध स्वरूप पाकिस्तान से सिंधु जल संधि निलंबित कर दी। आयात-निर्यात रोक दिया। पाकिस्तानी नागरिकों से देश छोड़ने को कहा गया। साथ ही, उच्च स्तरीय बैठकों की शुरुआत हुई और आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन की रूपरेखा तैयार होने लगी।
- 6-7 मई की दरमियानी रात 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच भारतीय शस्त्रों ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। 25 मिनट में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके में नौ जगहों पर 24 मिसाइलें दागकर आतंकी ढांचों की कमर तोड़ दी। इनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी शिविर शामिल थे। नियंत्रण रेखा पर लगातार गोलाबारी कर रहे पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद उकसावे वाली हरकतें और तेज कर दीं।
2. भारत का रक्षा कवच भेद नहीं पाया पाकिस्तान, उल्टा उसके सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा
- 8 मई से 10 मई के बीच पाकिस्तान ने भारत के 15 सैन्य ठिकानों और 26 से ज्यादा शहरों पर ड्रोन से हमलों की कोशिश की। इस दौरान भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
- पाकिस्तान को उसके 13 सैन्य ठिकानों पर भारी नुकसान पहुंचा। इसके लिए उसके नौ आतंकी ठिकाने पहले ही ध्वस्त किए जा चुके थे।
- पाकिस्तान भारत के वायु रक्षा कवच को भेद नहीं पाया। पाकिस्तान की तरफ से 400 से ज्यादा ड्रोन दागे गए। हाई स्पीड मिसाइलों का भी इस्तेमाल हुआ। भारत ने सभी को इंटरसेप्ट कर दिया।
- भारत ने जवाबी कार्रवाई में पहले लाहौर स्थित एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह किया गया। फिर आठ ठिकानों सियालकोट एविएशन बेस, पसरूर रडार साइट, चकलाला, मुरीद, रफीकी, चुनियान, रहमियार खान और सुक्कूर एयरबेस पर जवाबी हमले किए गए। इनमें पाकिस्तान के तकनीकी प्रतिष्ठान, कमांड और कंट्रोल केंद्र, रडार साइट्स और हथियार भंडार वाली जगहें शामिल थीं। इस तरह पहले दो दिन में उसके नौ ठिकानों को नुकसान पहुंचा।
- आखिरी दिन भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान को जैकबाबाद, सरगोधा, स्कर्दू और भोलारी में बहुत नुकसान पहुंचा। पाकिस्तान के एयर डिफेंस वेपन सिस्टम और रडार सिस्टम को निष्क्रिय कर दिया गया। इससे पाकिस्तान का एयरस्पेस बेकार हो गया। इस तरह उसे कुल 13 सैन्य ठिकानों पर नुकसान उठाना पड़ा।
- नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कमांड एंड कंट्रोल और अन्य स्थानों को इतना भारी नुकसान हुआ कि पाकिस्तान की आक्रामक, रक्षात्मक को नुकसान पहुंचा। उसके हौसले भी पस्त हो गए।