SHEOHAR : देकूली धाम पर खनन के दौरान भगवान विष्णु की हीरा से जड़ित अष्टधातु मिली मूर्ति ,
पौराणिक महत्व को मिला भगवान विष्णु की मूर्ति पौराणिक महत्व को पुष्टि करता है।
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शिवहर/ देकूली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वर नाथ महादेव मंदिर में खनन के दौरान भगवान विष्णु की अष्टधातु की हीरा से जड़ित मिले मूर्ति इसके पौराणिक महत्व को पुष्टि करता है।
देकूली धाम पर जीर्णोद्धार का काम के दौरान खनन हो रहा है जिस खनन से मिट्टी के पांच फुट अंदर से यह मूर्तियां निकलीं है, जो मूर्ति कौतूहल का विषय बन गया है, बड़ी संख्या में लोग उसे देखने पहुंच रहे हैं, इसकी लोग पुजा अर्चना भी शुरू कर दिए हैं। दूर दूर से लोग भगवान विष्णु की निकली मूर्ति को देखने पहुंच रहे हैं।
बताते चलें जिले के लोक आस्था का केंद्र बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर अति प्राचीन है. इस मंदिर का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण द्वापर काल में किया गया था. एक ही पत्थर को तराश कर इस मंदिर का निर्माण किया गया है.
1956 में प्रकाशित अंग्रेजी गजट में नेपाल के पशुपतिनाथ व भारत के हरिहर क्षेत्र के मध्य इस मंदिर के होने की बात कही गयी थी. कोलकाता हाई कोर्ट के एक फैसले में भी इस मंदिर को अति प्राचीन बताया गया है. ग्रामीणों की मानें तो इस्ट इंडिया कंपनी के चौकीदारी रसीद पर भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता था. मंदिर के पश्चिम भाग में एक तालाब है. जिसकी खुदाई करीब 1962 में छतौनी गांव निवासी संत प्रेम भिक्षु ने कार्रवाई थी.
संत प्रेम भिक्षु उतर बिहार के चैतन्य अवतार माने जाते थे. इस खुदाई में द्वापर काल की कई दुर्लभ धातु की मूर्तियां प्राप्त हुई थी. जिसे अति प्राचीन मौल वृक्ष के पास स्थापित किया गया है. ग्रामीणों के मानें तो इसके नीचे करीब 12 फिट खुदाई के बाद ग्रेनाइट पत्थर प्राप्त होते है.
धार्मिक न्यास बोर्ड से मंदिर को जोड़ने के लिए बिहार सरकार व भारत सरकार को प्रार्थना पत्र भेजा गया. इसके ऐतिहासिक संदर्भ की चर्चा करते हुए इसे जानकी सर्किट व चित्रकुट सर्किट से जोड़ने का प्रयास किया गया. किंतु महंथों ने इसे व्यक्ति गत संपत्ति बताकर मामला को उलझा दिया. हालांकि मंदिर में पूजा अर्चना करने पर कोई बाधा नहीं है. कहा जाता है कि मंदिर के ऊपर श्री यंत्र लगा है शिव लिंग पर जलाभिषेक के बाद जो भी मन्नतें मानी जाती है. सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.
फिलहाल जिला प्रशासन की पहल पर एक कमिटी का गठन कर इसके जीर्णोद्धार कार्य प्रगति पर है।
प्रशासन ने मंदिर के सभी अपने को स्वामित्व रखने वाले लोगो को कमिटी में शामिल कर उनके ही देख रेख में पुजा अर्चना के साथ साथ सभी प्रक्रियाएं पूरी की जाती है। इसके अध्यक्ष हैं अनुमंडल पदाधिकारी जो कमिटी के साथ बैठक कर मंदिर का देखभाल की निगरानी होते रहते हैं।
फिलहाल मंदिर परिसर का कार्य प्रगति पर है।